"सुन ज़िन्दगी" सुन ज़िन्दगी , मेरे पास है जैसे , कोई एहसान तेरा । सुन ज़िन्दगी , मेरी उदासियों को है , इंतज़ार तेरा ।। ऐ - ज़िन्दगी , तू बड़ी है मुझसे , मैं हूँ थोड़ी कम अक्कल । ज़िन्दगी तू है आज , शायद हो ही ना अगले पल ।। सुन ज़िन्दगी , मेरे साथ रह , हर मोड़ पर । चाहे चला जाए , कोई बेवजह मुह मोड़कर ।। मैं उदास हूं , ऐ मेरी ज़िन्दगी , रूठी हूं तुझसे । पर ऐ- ज़िन्दगी सुन , सुन ज़िन्दगी , मेरा कोई दोस्त भी नहीं , तेरे सिवा ऐ -ज़िन्दगी ।। सुन ज़िन्दगी , दिल से टूट जाऊ , तो जोड़ लेना । कही गिर जाऊ , तो संभाल लेना ।। सुन ज़िन्दगी , बस हर पल साथ रहना । ऐ ज़िन्दगी बदले में , मेरा वादा है तुझसे । ये दोस्ती अटूट रहेगी , मरते दम तक साथ चलेगी , ये बाते तेरी मेरी , हर किताब कहेगी ।। सुन ज़िन्दगी , यकीन रखना मुझपर , मेरा विश्वास है तुझपर । कोई कितना भी सताए , कोई झूठा, झूठा तुझे बतलाए , कोई बार- बार हँसा कर रुलाए , तू हँसती रहना । सिर्फ मेरे लिए , ऐ -ज़िन्दगी सुन ।। सुन ज़िन्दगी बस साथ रहना , बाद मेर
Background Image Source:Google Edited By:Talkative Words मैं चलता रहा , संग आया न मेरे वो कभी । मैंने मुड़कर देखा जिधर भी, वो दिखा न मुझे कभी ।। मैंने चाँदिनी रातो को , तारे गिनकर गुज़ार दिए । फिर समझ आया इस नादान दिल को , मैं था ही नहीं उसकी गिनती में कभी ।। मैंने अँधेरे में जल रहे , दीपक की तारीफ कर दी । दिया भी इतराकर बोला , क्या मैं जल पाता बिन मेरी बाती के भी कभी ।। एक गुलाब मेरे सामने , उसे लाकर किसी और ने दे दिया । काँटे चुभे थे कितने मेरे दिल को , ये बताया न मैंने उसे कभी ।। यूँ आसानी से भूला दिया उसने मुझे , ये सोचकर मैं रोया बहुत हूँ । सुना है उसके आँसु पोछने , मेरे यार दोस्त ही गए थे कभी ।। सब ने सुनी , ऊँची आवाज़ मेरी । मगर ,कोई ना आया उसकी तीखी बाते सुनने कभी ।। मैं क्या सुनाऊ उसे , दर्द इस दिल का अब ? उसके जाने के बाद , इस टूटे दिल को भाया न कोई कभी ।। -Talkative Words Mai chalta raha, sang aayaa na merey woh kabhi . mainey mudhkar deykha jidhar bhi, woh dikha na mujhey kabhi .. mainey chaandini raato ko , taarey ginkar guzaar diye . phir samajh aayaa iss naadaan